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Wednesday 19 April 2017

ऐ जिंदगी

ना कर इतने सितम ऐ जिंदगी,
कि प्यार से ज्यादा दर्द प्यारा लग जाए,
ना कर यूं सितम ऐ जिंदगी,
कि हंसी से ज्यादा आंसू न्यारा लग जाए,
माना अकेला हूं, हत्यारा हूं, बेचारा हूं,
मगर ना कर इतने सितम ऐ जिंदगी,
कि जीना भी मरने से गवारा लग जाए,
मैं जानता हूं बेइंतहा दर्द देखा है तूने,
मगर तेरा आंगन तो बहुत बडा है,
कि सब उसमे समा जाए,
मगर हमसे ना यूं रुख मोड़ ऐ जिंदगी,
कि आंगन भी गलियारा लग जाए,
मौत से बड़ा क्या सच होगा ?
ना सच होगा, ना झूठ होगा,
ना कोई इससे बडा दर्द होगा, ना फर्ज होगा,
मगर ना कर खुद से अलग यूं जिंदगी,
कि दर्द​ भी मौत के सामने फीका लग जाए,
लग जाए ये जिंदगी बेरंग, बेढंग,
लग जाए ऐ जिंदगी तुझे मेरी भी उमर,
ना बहके तू यूं खोज में दर बदर,
ना बिखरे शीशे की तरह इधर उधर,
बस एक भीख मांग रहा तुझसे,
बख्स दे मुझे, और मचा दे कुछ देर गद्दर,
कि माना नहीं दे सकती तू हंसने की आज़ादी,
माना नहीं दे सकती ख्वाब मुकम्मल करने की आज़ादी,
माना नहीं दे सकती तू, खुद से जीने की आज़ादी,
मगर ऐ जिंदगी, थोड़ी सी देदे सोचने की आज़ादी,
जो ख्वाब हासिल ना हो पाया,
उसको सोच कर झूठे ईनाम पाने की आज़ादी,
सोच में ख्वाब को जीत जाने की आज़ादी,
सोच में ख्वाब को मीत जाने की आज़ादी,
आज़ादी झूठी सोच की, खरोंच की,
दिलासे की, मुंहासे की,
बताशे की, तराशे की,
संगम की, प्यार की,
इकरार की, इज़हार की,
इंकार की, इकबाल की,
कि दें ऐ जिंदगी, जिंदगी की आज़ादी,
मेरे हक की आज़ादी, तुझ​ तक की आज़ादी,
आज़ादी की आज़ादी,
और,
और आज़ादी, और आज़ादी,
बस आज़ादी ।
                                                                   - राहगीर

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