मुझसे बोला मेरा दोस्त-
" चल चलते है मधुशाला, पीते है जी भर कर हाला "
मैं बोला-
"चल चलते हैं,
बना दूंगा अपनी राहो का पथ हाला,
फिर बिखराऊंगा उस पर सपनो का प्याला,
फिर छलकेगी मेरी हाला,
मगर पकडे रखूँगा मैं वो पथप्याला,
ज़िन्दगी को बना दूंगा मधुशाला,
जहां थिरकेंगी मेरी मौज की हाला,
की टूट जाएगा सपनो भरा वो प्याला,
की इतना पियूँगा मैं वो रस काला,
और अन्त समय जब आएगा,
तो उस महक को बना दूंगा जीना का नाला,
हद पार कर दूंगा जी जी कर कतरा कतरा,
की चलो मित्र आज चलते है मधुशाला,
पीते है जी भर कर हाला "
BY-
SHIVAM
SHIVAM
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