ए दिल-ए-नाकाम, कितनी आरजू करता है, कर नहीं पाता लेकिन, कोशिश हजार करता है। अब्र तलक आवाज तेरी पहुच नहीं पाती, लेकिन मुहब्बत शारीक-ए-सुखान से, क्यू बेशुमार करता है।
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