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Friday, 1 January 2016

BACHPAN

किस -किस को किस- किस तरह , यहाँ  करूं  प्रणाम
मुझको भी तो चाहिए , बदले मे सम्मान
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छूकर मुझको लौट गया , मेरा अतित महान
रह रह कर है याद दिलाता , यह बिखरा पडा सामान
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उस बचपन कि माटी मे यारो , कितनी भरी उड़ान
कितनी-कितनी याद समेटे, आया यह तूफान
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किस - किस ने किस-किस तरह, मुझे चखाया जाम
झूम - झूम कर नाच उठी, यह सुनहरी शाम
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खूब दावतें  खाई थी, खूब खाए पकवान
अब पहले जैसी बात कहाँ, बदल गया जहान
*****
किस -किस को किस- किस तरह , यहाँ  करूं  प्रणाम
मुझको भी तो चाहिए , बदले मे सम्मान

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