कसूर किस्मत का नहीं, कसूर तो मेरा है,
भूल गया था जीतने पर फूलों का ताज तो हारने पर काटों का सेहरा भी मेरा है,
उचक कर चांद को छूने की ख्वाइश कर बैठा,
भूल गया था ये खयाली पुलाव भी मेरा है,
हार कर निराश हुआ बैठा था,
भूल गया था आज आन्गन मे सूखा है तो क्या,
कल के सावन का पानी भी मेरा है।
No comments:
Post a Comment