नगरवधू ( a prostitute )
एक जाम रोशनी के नाम
एक जाम रोशनी के नाम
कि मतलबीपन ने बदल दिया इंसानो को ,
इंसानो को कि जानवरों को ,
कि बदल कर राख बना दिया कब्रिस्तानों को ,
और लाख बना दिया हैवानो को
यहाँ पलती है औलादें झूठे फसानो मे ,
यहाँ बिकती है औलादें बेलिहाज बदनामो मे
कि पलती है ज़िन्दगी भी उन कोठों में ,
और फिर बिकती है मौत तक उन कोठों में,
कि कोठों के मोहल्लो मे अक्सर अमीरो की तादाद होती है ,
या फिर उन बदचलन गरीबों की तादाद होती है ,
और रह जाती है वें औरतें बनकर ,
जिनके दिलो मे कुछ कर गुज़र जाने की फ़रियाद होती है।
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