# फिर पैदा हुये कुछ पीने वाले,
फिर सजेगी वही मधुशाला।
इतिहास अब बदलेगा फिर से,
लबो पर झूमेगी फिर हाला।
# हाथों मे कुर्बानी का प्याला,
दिल में देशधर्म का जाम,
दूरियां मिटाती मधुशाला,
क्यों करते तुम इसे बदनाम।
# रक्त शहीदी वाला लेकर,
जब देशभक्त आया दर पे, कहता
इस हाला की प्रतिरक्षा मे,
निकला हू बांध कफन सर पे।
इस हाला की रक्षा में ,
मिटता रहेगा मिटने वाला,
पर आबाद रहेगा भारतवर्ष,
आबाद रहेगी मधुशाला॥
# फांसी चढ जिन वीरो ने,
देखा सपना आजादी का,
वो भारत आज बना मंजर,
राजनीति की बर्बादी का।
आज चाहिए देश को,
भगतसिंह सा फांसी चढने वाला,
जो आबाद रखे भारतवर्ष,
अोैर आबाद रखे मधुशाला ॥
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