फूलों से मांगी कोमलता,
चांद से मांगी चन्चलता,
रात से मांगा नूर चांदनी,
दिन से छीनी चमक गुमानी,
गालों पर देने को सिन्दूरी,
खन्गाल गया कायनात पूरी,
आसमान से मांगा रूप सतरंगी,
परियो से अदाये अतरंगी,
झील देखकर बना दी आंखें,
जुगनू से मांगी बातें,
मदिरा से लेकर नशा उसने तुझमे डाल दिया,
रख कर फिर अपनी कलम जमीन पर तुझे उतार दिया। ....
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